वो पुराने, ख़ुशी के दिन शेहेर में आगऐ हैं..

Started by Kaustubh P. Wadate., November 25, 2015, 07:40:50 PM

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Kaustubh P. Wadate.

वो पुराने, ख़ुशी के दिन शेहेर में आगऐ हैं फिरसे...

अब गलिया फिरसे गाने लगी हैं..
रास्ते सारे ज़ूम उठे हैं..
सारे घर जगमगा रहे हैं..
आँगन भी हसने लगे हैं..
फूल सारे मेहेक रहे हैं..
पंछी भी गाने लगे हैं..

वो पुराने, ख़ुशी के दिन शेहेर में आगऐ हैं फिरसे...
पर......कमबख्त......

अब मैं ही उस शेहेर में नहीं रेहेता...

- कौस्तुभ