चाहत ये जो है ……….

Started by SHASHIKANT SHANDILE, January 02, 2016, 12:09:57 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

इतनी भी चाहत न कर कि आफत हो जाये
सारी दुनियासे तेरी खातीर बगावत हो जाये
बस रख अपने दिलके किसी कोनेमे बसाकर
कही चाहत मे मेरा प्यार शापित हो जाये

डर लगता है अक्सर तुझे खो न दु मै कही
शायद यही चाहत मेरी ईबादत हो जाये
देख न पाऊंगा होते तुझे रूक्सत डोलीमे
यही चाहत मेरे मरने का कारण हो जाये

चाहता तो हु मै भी तुझे बेइंतहा ऐ सनम
डरता हु इस संगतकी मुझे आदत हो जाये
हा जी न पाऊंगा यकिनन मै तेरे बिन
नजदीकियों के बाद जुदा किस्मत हो जाये
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शशिकांत शांडिले(SD), नागपूर
भ्र.९९७५९९५४५०
दि.०२/०१/२०१६
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शब्द माझे!



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धन्यवाद कन्हैयाजी & पुनमजी
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