बिन लफ्जोंका खयाल हूँ

Started by dhanaji, February 11, 2016, 10:50:16 PM

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dhanaji


बिन लफ्जोंका खयाल हूँ
लफ्ज मिलें तो कमाल हूँ
ख़्वाब दिखाई नहीं दिया
अंधेपनकी मिसाल हूँ
देख समंदर समा गया
शायद तेरा रुमाल हूँ
क्या बोलूंगा पता नहीं
खुदसे खुदका सवाल हूँ
फिरसे ताज़ा हवा चली
फिर मै जलती मशाल हूँ
जयदीप CA Jaydeep Joshi