आँखों में आंसू इतने थे की साया धुल कर खो गया

Started by dhanaji, February 19, 2016, 11:49:32 PM

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dhanaji


आँखों में आंसू इतने थे की साया धुल कर खो गया,
जीत थी या हार, बस एक पल में मालाल सो गया,
घुटने फूटे गिला रुमाल नाजाने कब सूख गया,
माफ़ी मांगी माफ़ किया, झुक गया टूट गया,
कुछ था ही नहीं,क्या कहूँ क्या छुट गया
सपने देखे खूब तोड़े,लावारिस कहलाये
शुरू इसी रस्ते पर हुए थे,कब भूल गए,
मंजिल खो गयी, बस रस्ते रह गए.
ईंटों पर लाल निशान मिट्टी हो गये,
बेशुमार दरारों से जाने कितने सूरज खो गये
चलते चलते क्या पता कब सो गये,
आँखों में आंसू इतने थे की साया धुल कर खो गया,
जीत थी या हार, एक पल आसान हो गया.