==* अभी बाकी है *== (गजल)

Started by SHASHIKANT SHANDILE, March 15, 2016, 11:33:01 AM

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SHASHIKANT SHANDILE

टूट चूका है दिल मगर बिखरना अभी बाकी है
कसमो वादों के बिच बिछड़ना अभी बाकी है

हो गई कोई खता या खुदाई मुझसे रूठी है
लूट चूका है दिल मगर खरीदना अभी बाकी है

चाहत तो नहीं अब की हो हासिल आसमां
बादल बिक गये मगर बरसना अभी बाकी है

जलता है दिल हर रात याद कर के वो लम्हे
आते लम्हों को प्यारसे संवरना अभी बाकी है

दिनमे रोता है "शशि" रात का क्या कहना
ढल चूका है दिन मगर निखरना अभी बाकी है
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
Mo.9975995450
Its Just My Word's

शब्द माझे!