* कभी मिलना नहीं *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, March 20, 2016, 10:04:59 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

उन्होंने कसम देकर कहा के
अब कभी मिलना नहीं
हमने हँसकर कह दिया
मुर्दे कभी चलते नहीं.
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938