Ek kali raat thi

Started by Rugwed Sukhatme, April 15, 2016, 11:24:15 PM

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Rugwed Sukhatme

एक काली रात में
सूनापन था ..
न कोई रौशनी थी
बस अँधेरा था..

चाँद को देखा तो
वोह तन्हा था ..
पुरे आसमान में
बस अकेला बैठा था.

न कोई तारा था
न कोई बादल था
गुमशुदा सा वोह..
मायूस बैठा था

लेकिन किसी रोज वोह
धरती का हिस्सा था
जिसे बस..
आसमान चूमना था

वोह ऊपर चढ़ता गया
चढ़ता गया चढ़ता गया
न उसे आसमान मिला
न वोह वापस आ पाया

न कोई दोस्त रहा
न कोई अपना मिल पाया
उचाई की घमंड में बस
काली रात का बादशाह बन पाया

-ऋग्वेद सुखात्मे