==* कैसे कह दे की बावफा है जिंदगी *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, July 11, 2016, 11:06:44 AM

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SHASHIKANT SHANDILE

अब ना उम्मीद-ए-वफा है जिंदगी !
जानें क्यों मुझसे खफा है जिंदगी !!

यूँ तो शिकायत नही अब किसी से !
अपने ही वजुद से जफा है जिंदगी !!

बाँधे हमेशा झूठे सपनो के पुलिंदे !
महफिल से अपने दफा है जिंदगी !!

दिख रहे है सबको आब-ए-चश्म  !
बे जुर्म कहूँ या बेवफा है जिंदगी !!

फ़ुऱ्कत मे कटे रात दिन 'शशी' के !
कैसे कह दे की बावफा है जिंदगी !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्र. ९९७५९९५४५०
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शब्द माझे!