* किस्सा *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, July 31, 2016, 10:53:03 AM

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कवी-गणेश साळुंखे


आओ सुनाता हूँ में किस्सा
तुम्हें अपनी मशहूर शख्सियतका
जो मुझ बेनामके साथ हुआ
एक हादसा बदनामी का
कलतक कोई पहचान ना थी
फिर हुआ जाना-पहचाना हरकिसीका
सोचों क्या था वो हादसा आखिर
जो बदल गया नसीब मुझ गरीबका
.......... इतना ना सोचों..........
ये वहीं किस्सा है वहीं हादसा हैं
जो अक्सर मोहब्बत में होता हैं
माशुक के हाथों से आशिक
हँसते हँसते कत्ल होता है.
कवी - गणेश साळुंखे.
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