* हम ही हम *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 17, 2016, 11:03:27 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

मासूमियत भरी पडी है आँखोंमे
एक नूरसा छाया हुआ है चेहरेमें
गर देख लेगी तु सिर्फ़ हमे एकबार
तो हम ही हम होंगे तेरे खयालों में.
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938