सरहद की वादीयो में

Started by ram.suryawanshi, September 20, 2016, 10:13:40 PM

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ram.suryawanshi

!! सरहद्द की वादीयो में !!

गुज़र जाये जिन्दगी सरहद्द की वादियो में !!1!!
रो पड़ी थी हवा भी उनकी कहाणी में !

सब कुछ छोड़ आये उभरते सालों में !
गुलमिल सा गये वो गोलियों की धुन में !

वतनकी जरूरत और  जवानी  की  आस्था में !
खो जाते थे कभीकभी बचपन की यादों  में !

गुज़र जाये जिन्दगी सरहद्द की वादियो में !!2!!
रो पड़ी थी हवा भी उनकी कहाणी में !

ना कुछ खबर थी घर के लोगो में !
बस चिठ्ठीया छोड़ी थी उनकी यादों में !

जब आन पड़ी थी जंग की  मैदान में !
तोपे दाग देते थे गोलियों के जवाब में !

गुज़र जाये जिन्दगी सरहद्द की वादीयो में !!3!!
रो पड़ी थी हवा भी उनकी कहानी में !

नमी न छाई उनके दिलों में !
घर संसार न सोचा गोलियों के बोछार में !

खून से लथपत हुए वतन की लड़ाई में !
दुश्मन को मारते रहे सरहद्द की वादियो में !

गुज़र जाये ज़िन्दगी  सरहद्द की वादियो में !!4!!
रो पड़ी थी हवा भी उनकी कहानी में !

जब लौट आये लिपटी हुए तिरंगे में !
सनाटा छाया था वतन के लोगो में !

गुनगुना रही थी हवा उसकीे धुन में !
कैसे लड़े थे वो वतन की रक्षा में !

गुजर जाये ज़िन्दगी सरहद्द की वादियो में !!5!!
रो पड़ी थी हवा भी उनकी कहानी में !

                 (  स्वःलिखीत )
                    राम सूर्यवंशी
                       लातूर 
          मो 9637486805