मुस्कुराना भी जाणते थे हम

Started by अमोलभाऊ शिंदे पाटील, November 30, 2016, 06:35:06 PM

Previous topic - Next topic
मुस्कुराना भी जाणते थे हम
'तेरी यादो मैं मेरी आँखे हो जाती है नम
मरणे कि उम्मीद नहीं थी हमे
कुछ इस तरह तुझं पर मर गये हम
कि जीना कैसे होता हैं यही भूल गये हम......✍🏻(अमोलभाऊ शिंदे पाटील).मो.9637040900.अहमदनगर