==* समां फिर रुक गया *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, July 14, 2017, 04:07:03 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

समां फिर रुक गया मानो की कोई यार आया है!
बहोत दिन बाद जो देखा वो बिता प्यार आया है!!

वो आंखे थी कि जैसे कह रही हो हम तो अपने है!
खजाना मीठी बातों का तड़पकर पार आया है!!

अगर हम भूलना चाहे लबों की मुस्कुराहट वो!
दिलाने याद फिर हमको वो खबरदार आया है!!

हम तो बैठे बड़े आराम से कुछ सोच जारी थी!
यहां हम सोचने बैठे देखा दिलदार आया है!!

देखो हम छोड़ बैठे थे उम्मीदें हँसने गाने की!
शशि के वासते लेकर खुशी का हार आया है!!

समा फिर रुक गया मानो की कोई यार आया है
बहोत दिन बाद जो देखा वो बिता प्यार आया है
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!