गीत

Started by १. मनिषा गुर्जर, October 19, 2017, 07:05:50 AM

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१. मनिषा गुर्जर

कितने गीत ओठोपे रुकेसे बोल कुछ मन में छुपेसे
भुलेबिसरे सपने हो जैसे सुनने कहने से रुकेसे

बोल मीठे है उनमें कुछ जो ना होंगे अब पुरेसे
मननें जैसे हो खाब बुनेसे गीत वो सुंदर सपनेसे

गीत गाना चाहत थी पर वो तो अब सूर ये खोयेसे
गीत वो मधुर बोलोके अब बोल सारे ही बिखरेसे

गीत जिंदगीके सारे नयेसे सारे जैसे गुनगुनायेसे
कुछ गीत वो जो गुनगुनाने है पर बोल उनके छुपेसे

जीवन का हर गीत गायेजा जो तू अपने दिलसे
गीत हरएक है अनमोल जुडा है दिल हरएक गीतसे   

गुनगुनासे गीत मनमें जागे नितदिन नया जोशसा
कितने गीत गाये  कितने गुमसे और कितने रुठेसे

गीत हरएक भावोपे गीत हर रंग के जीवनसे
गीत गा रहे है मन पर कुछ रह गये अधुरे गुनगुनानेसे