मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ! (गजल काव्य)

Started by SHASHIKANT SHANDILE, May 09, 2018, 12:20:04 PM

Previous topic - Next topic

SHASHIKANT SHANDILE

मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ,
जुदाई इबादत का दाम ले लिया !!

वो खुश है अकेले हो हमसे जुदा ,
तो हमने भी आखरी सलाम ले लिया !!

फरेबी मुहब्बत में वादाखिलाफी,
न जानो कोई इंतकाम ले लिया !!

कही हो न जाए रुसवा मुहब्बत,
अगर हमने उनका नाम ले लिया !!

चैन है गवाया कर उनसे मुहब्बत ,
जागती रातो का पैगाम ले लिया !!

निले आसमां में नदारत है बादल ,
यहा किसने अपना काम ले लिया !!

जी रहा हैं शशी आज भी मुस्कुराकर,
न जाने क्यों ऐसा अंजाम ले लिया !!
-------------------//**--
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!

SHASHIKANT SHANDILE

मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ,
जुदाई इबादत का दाम ले लिया !!

वो खुश है अकेले हो हमसे जुदा ,
तो हमने भी आखरी सलाम ले लिया !!

फरेबी मुहब्बत में वादाखिलाफी,
न जानो कोई इंतकाम ले लिया !!

कही हो न जाए रुसवा मुहब्बत,
अगर हमने उनका नाम ले लिया !!

चैन है गवाया कर उनसे मुहब्बत ,
जागती रातो का पैगाम ले लिया !!

निले आसमां में नदारत है बादल ,
यहा किसने अपना काम ले लिया !!

जी रहा हैं शशी आज भी मुस्कुराकर,
न जाने क्यों ऐसा अंजाम ले लिया !!
-------------------//**--
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!