आज कल हालात है नासाज दिल के~~~~~ (गजल-काव्य)

Started by SHASHIKANT SHANDILE, May 24, 2018, 11:13:24 AM

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SHASHIKANT SHANDILE

ढूंढता रहता हूं मैं अल्फाज दिल के
जाने क्यों गुम हो गए अंदाज दिल के

रूबरू जो हो गए हो आज मुझसे
हाल-दिल कर लो बयां नाराज दिल के

मैं तो चाहूँ जिंदगी में साथ तेरा
तुम न जाने कब बने हमराज दिल के

है इनायत ये मुहब्बत की समझलो
यूँ नहीं मिलते किसीको ताज दिल के

भूल कर गुजरा जमाना यार आजा
आज कल हालात है नासाज दिल के
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
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