अजी सुनिये जनाब .........

Started by SHASHIKANT SHANDILE, September 07, 2018, 10:49:32 AM

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SHASHIKANT SHANDILE

बहुत ठगा है भैया तूने
अपने बोल बचन से
धीरे से क्यों पल्ला झाड़े
अपने ही वचन से

बेवकूफ़ क्या तूने जानी
जनता भारत देश की
धीरे धीरे देखेगा तू भी
हद जनता के आवेश की

बोल बचन से अबतक तेरे
"अच्छे दिन" ना आएं
जाती धर्म के दांव पेंच में
"विकास" को भुलाएं

आरक्षण का दांव चलाकर
तूने जो तीर है मारा
न्यायालय को आँख दिखाई
तबसे दिल है हारा

ऐसे कैसे आखिर तुमको
"सबका साथ" मिलेगा
जोड़तोड़ की राजनीति से
"किसका विकास" होगा

जानलों भारत की जनता
इतनी भी सोई नही है
तुम को लगता होगा लेकिन
सपनों में खोई नही है

सपनों में खोई नही है
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!