अँधेरे की अंत की तलाश…

Started by puneumesh, February 16, 2019, 04:56:26 PM

Previous topic - Next topic

puneumesh

अँधेरे की अंत की तलाश...

कौओं को एक साथ बैठा देख कर
धरती की रूह भी कांप रही होगी

पेड़ की गहरी जड़ें भी खोकली कर दी गई
चूहों के संग सहमति हो गई होगी

पत्थरों के बदलते रंगों को देख कर
गिरगिट भी शर्म से नीर नीर हो गई होगी

इंसानोंके नोचनेकी क्षमता देखकर
गिध्द भी मंत्रमुघ्द हो गईं होंगी

बृहस्पति के पुत्रों की लाचारी देख कर
सरस्वती भी ढैं ढैं रो रही होगी
   
अंधक्कार का आभाव ही उजाला है
यह बात उसने भी सुनी हुई होगी

तभी तो - अँधेरे की अंत की तलाश में
उम्मीद - बुझती मशाल लेकर निकल गई होगी
.................................... उमेश, पुणे
puneumesh