मौत तो मुक़म्मल है........

Started by SHASHIKANT SHANDILE, August 01, 2019, 12:18:16 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

मौत तो मुक़म्मल है
यक़ीनन तुमसे मिलने आएगी
अपनी बाहों का हार
बड़े प्यार से तुम्हे पहनाएगी

ठहर जा या तैर ले
जिंदगी कबतक तुम्हे अपनाएगी
बंद कर मरकर जीना
देखतेही जिंदगी उजड़ जायेगी

जो है उसे ही संभाल
ये प्यास कभी न मिट पायेगी
खाली हाथ आया था
मौत तुझे अकेले ही ले जायेगी

अच्छे कर्मो के रास्ते
तेरी एक पहचान बन पायेगी
जिंदगी तो दिखावा है
मौत तुम्हे हक़ीक़त दिखाएगी
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!

Atul Kaviraje

     शशिकांत सर, जहां जन्म है, वहा यकिनन  मृत्यू भी है. जन्म मृत्यू का ये खेल सदियों से चला आ रहा है, और आगे भी चलता रहेगा. मृत्यूही एक अंतिम सत्य है. वही एक निखालस सच है. कोई भी इन्सान, प्राणी-मात्र इससे छुटा नहीं है. कभी न कभी तो उसे मौत को गले लगाना ही पडता है.

     आपने, आपके, "मौत तो मुकम्मल है ", इस दार्शनिक कविता में, खूब कही है की, इस जनम में तू कुछ अच्छे कर्म भी करता जा, ताकी तुझे आसां मौत मिले, किसी चीज की आस न कर, खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जायेगा. आपकी कविता मन को भा गयी.  ऐसी ही मतलब भरी आसां एवं परिपूर्ण कविताये लिखना ,ताकी उन्हे पढकर  हमें सही जीवन जिने का रास्ता मिल सके.

     जीवन जी भर के जी ले तू
     समय बितता जा रहा है
     मौत कब आयेगी पता नही,
     कुछ अच्छे कर्म भी करता जा,

     मौत ही है अंतिम सच
     ऐसे मानकर तू चल हमेशा
     इस छोटीसी जिंदगी को,
     तू खुशहाली में जिये जा.

-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-११.०६.२०२१-शुक्रवार.