किससे कहूं

Started by शिवाजी सांगळे, August 30, 2019, 04:49:20 PM

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शिवाजी सांगळे

किससे कहूं

कुछ तो बात है यहां मै किससे कहूं
हर जगह आभास तेरा किससे कहूं

पुछती है अब दिवारेंभी तुम्हारी बाते
टाल देता हूं उन्हें अपनी किससे कहूं

शोर करते है खिडकी के परदे कभी
अपने अंदर के शोर कि किससे कहूं

वो लम्हे, वो तनहा पल बिताये यहां
साथसाथ कभी अकेले किससे कहूं

ढल तो जाता है दिन यहां जैसे तैसे
मांगती है जबाब रात मै किससे कहूं

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