ना सताओ

Started by शिवाजी सांगळे, February 12, 2020, 07:18:54 AM

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शिवाजी सांगळे

ना सताओ

अब और ना सताओ जो दिलमें हैं बताओ
अफ़साने चलते रहेंगे अब और न चिढाओ

रात गहराई धुंधलासी बादलोंका लगा डेरा
चांद भी निकल आया देखो तुम भी आओ

थक गई आँखें हमारी इंतजार करते करते
पहलेही बहुत तरसें है अब जरा न रुलाओ

मौसम देता है गवाही ऋतु प्रेम की परछाई
मुसाफ़िर है दोनों कदम से कदम मिलाओं

कुछ मान जाता हूँ मै कुछ तुम समझ लेना
फ़ासला इन तनहाइयों अब और न बढ़ाओं

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