ख़्वाब

Started by शिवाजी सांगळे, February 24, 2020, 08:18:47 PM

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शिवाजी सांगळे

ख़्वाब

खुली आँखों से हमने ख़्वाब देखें
खिलते उजडते कईयों बेताब देखें

सूकून नहीं दिलको क्यूँ मिलें बगैर
तस्वीरों में चेहरे जो बेहिसाब देखें

चेहरें पर यहां कई सेहरे जमाने में
सरेआम चेहरें पर नयें नक़ाब देखें

तोडऩे खाईं कसमें और वादे इरादे
अजीबोगरीब अनोखे जबाब देखें

दिन के कई चमक दमकते सुरज
ढलती शाम डूबते आफताब देखें

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