बीती बातें

Started by sachinikam, April 11, 2020, 09:08:19 PM

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sachinikam

बीती बातें (कवी: सचिन निकम, गीतगुंजन)

बीती बातें बीत गयी कल
क्या फायदा दोहरानेसे
बादलोंके संग है उड़ना
खुले खुले आसमानोमें

कलकी बात करें क्यों हम
नयी सुबहके साथ चले हम
पहनके मुस्कान ओठोंपर
भूल जायेंगे सारे गम

हरदिलमे प्यार जगाना
सिखा हमने फूलोंसे
गिरके संभलना उठकर चलना
सिखा हमने पानीसे
डरको मिटाके आगे बढ़ना
सिखा हमने रोशनीसे
आँधी तूफानसे लड़ना
सिखा हमने पर्बतसे

बीती बातें बीत गयी कल
क्या फायदा दोहरानेसे
बादलोंके संग है उड़ना
खुले खुले आसमानोमें