रिश्ता

Started by शिवाजी सांगळे, May 18, 2020, 05:01:14 PM

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शिवाजी सांगळे

रिश्ता

रिश्ता और कब तक रखना इस शहर से
चाहता नहीं मैं उतरना किसी के नजर से

कहा गई है भीडभाड़ वह रौनक कल की
पुकार आतीं है गली, मोहल्ले, बाजार से

नहीं अकेले फिरभी सुनापन अजीबसा है
पडे है कई दिनों से दूरदेश घर, परिवार से

दोस्त भुल न जाएं रिश्तेदार एकदूसरे को
बांधना होगा अब सभीको प्रेम की डोर से

ठप्प पडा है कारोबार सब तुम्हारा हमारा
हटा दो तालाबंदी बिनती है ये सरकार से

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