* रुसवाई *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 10, 2020, 11:14:07 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

अर्ज किया है ....

दिलकी बातें आजभी अनकही हैं
यूं तो हरबार लगा के कहदूंँ सबकुछ
पर लफ्ज कहते हैं के खामोशी ही सही हैं
गर रुठ जाए तो फिर रुसवाई ही रुसवाई हैं.
@ गणेश साळुंखे @