यकी नहीं होता

Started by मोतिदास उके साहिल, September 16, 2020, 06:54:30 AM

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यकीं नही होता

यकीं नही होता की ओ बेवफा हो गयी
कसूर क्या हमसे,क्या खता हो गयी
दिल तोड़ के चल दिये इस कदर
रूह से जान जैसे जुदा हो गयी
कोई शिकायत का तोहफा हमने दिया नही
फिर क्यों हमसे ओ खफा हो गयी
दिवानगी से बढ़कर चाहा जिसे
क्या इसी गुनाह की हमसे सजा हो गयी
दिल साहिल का तोड़ा शीशा हो कोई
कस्मे वादे तोड़ना उसकी अदा हो गयी
यकीं नही होता की ओ बेवफा हो गयी।

मोतिदास अ. उके "साहिल"


यकीं नही होता

यकीं नही होता की ओ बेवफा हो गयी
कसूर क्या हमसे,क्या खता हो गयी
दिल तोड़ के चल दिये इस कदर
रूह से जान जैसे जुदा हो गयी
कोई शिकायत का तोहफा हमने दिया नही
फिर क्यों हमसे ओ खफा हो गयी
दिवानगी से बढ़कर चाहा जिसे
क्या इसी गुनाह की हमसे सजा हो गयी
दिल साहिल का तोड़ा शीशा हो कोई
कस्मे वादे तोड़ना उसकी अदा हो गयी
यकीं नही होता की ओ बेवफा हो गयी।

मोतिदास अ. उके "साहिल"