मुझे बदलना चाहा... mujhe badalna chaha

Started by puneumesh, September 17, 2020, 09:59:57 AM

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puneumesh

मुझे बदलना चाहा..

मुझे जो भी मिला
मुझे बदलना चाहा।
अपने रंग में मुझे
ढालना चाहा।
मैं कोई पानी का बहाव हूँ
जो मुड़ जाऊं?
कोई गिरगिट का रंग हूँ
जो बदल जाऊं?
मैं तो रब ने बनाई
पत्थर की लकीर हूँ।
उसीकी बनाई हुई,
एक मजबूत तकदीर हूँ।
तू भी वही, मैं भी वही
चलो एक दुसरे को माने हम
क्यों न रब की बात जाने हम।
----------------------उमेश, puneumesh