II शिक्षक दिन II-अनमोल वचन एवं कविता-कविता क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2021, 12:57:39 PM

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Atul Kaviraje

                                    II शिक्षक दिन II
                                     "अनमोल वचन"
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मित्रो,

     आज रविवार, दिनांक-०५.०९.२०२१, आज के दिन का महत्त्व यह है, कि आज, राष्ट्रीय शिक्षक दिन है. इस उपलक्ष्य में  सुनेंगे, माहितीपूर्ण लेख, इस दिन का महत्त्व, भाषण, निबंध, कोट्स , शायरी, कविता, शुभ संदेश, एवं अन्य जानकारी.


                       शिक्षक दिवस पर अनमोल वचन----

--शिक्षक में दो गुण निहित होते हैं – एक जो आपको डरा कर नियमों में बाँधकर एक सटीक इंसान बनाते हैं और दूसरा जो आपको खुले आसमा में छोड़ कर आपको मार्ग प्रशस्त करते जाते हैं |
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--जन्म दाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता हैं क्यूंकि ज्ञान ही व्यक्ति को इंसान बनाता हैं जीने योग्य जीवन देता हैं |
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--एक शिक्षक किताबी ज्ञान देता हैं, एक आपको विस्तार समझाता हैं एक स्वयं कार्य करके दिखाता हैं और एक आपको रास्ता दिखाकर आपको उस पर चलने के लिए छोड़ देता हैं ताकि आप अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बना सके | यह अंतिम गुण वाला शिक्षक सदैव आपके भीतर प्रेरणा के रूप में रहता हैं जो हर परिस्थिती में आपको संभालता हैं आपको प्रोत्साहित करता हैं |
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--आज के प्रतिस्पर्धा के समय में आपका विरोधी ही आपका सबसे अच्छा शिक्षक हैं |
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--एक बेहतर शिक्षक सफलता का चढ़ाव नहीं अपितु असफलता का ढलान हैं |
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--जो असफल होकर निचे गिरते हैं वास्तव में वही शिक्षित होते हैं क्यूंकि जब वे वापस अपना नया रास्ता बनाते हैं उन्हें आतंरिक भय नहीं सताता |
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--किसी शिष्य को उसके वास्तविक गुणों एवम अवगुणों से उसका परिचय करवाना ही एक सच्चे शिक्षक का परिचय हैं |
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--हर किसी की सफलता की नींव में एक शिक्षक की भूमिका अवश्य होती हैं | बिना प्रेरणा के किसी भी ऊँचाई तक पहुंचना असम्भव हैं |
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--हम अपने जीवन के लिए माता पिता के ऋणी होते हैं लेकिन एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए हम एक शिक्षक के ऋणी होते हैं |
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--वक्त का हर एक लम्हा शिक्षा देता हैं वास्तव में समय एवम अनुभव ही हमारे प्राकृतिक शिक्षक हैं |
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--एक सफल शिक्षक वही हैं जिसमे सहनशीलता एवम सकारात्मकता होती हैं |
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--माँ ही जीवन की वास्तविक शिक्षिका होती हैं क्यूंकि वही हमें करुण एवम आदर का भाव देती हैं | यही भाव सीखने की कला विकसित करते हैं |
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--शिक्षक स्वयम कभी बुलंदियों पर नहीं पहुँचते लेकिन बुलंदियों पर पहुँचने वालो को शिक्षक ही निर्मित करते हैं |
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--किसी महान देश को महान बनाने के लिए माता पिता एवम शिक्षक ही ज़िम्मेदार होते हैं |
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                 (संकलक साभार आणि सौजन्य-भरत वटाणे)

                  (संदर्भ-बीएमसी  स्कूल्स .ब्लॉगस्पॉट .कॉम)
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                             शिक्षक दिन हिंदी कविता
                                     क्रमांक-3
                    "गुरु बिन ज्ञान नहीं गुरु बिन ज्ञान नहीं रे"
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-----गुरु बिन ज्ञान नहीं गुरु बिन ज्ञान नहीं रे।


अंधकार बस तब तक ही है,
जब तक है दिनमान नहीं रे॥

मिले न गुरु का अगर सहारा,
मिटे नहीं मन का अंधियारा,
लक्ष्य नहीं दिखलाई पड़ता,
पग आगे रखते मन डरता।
हो पाता है पूरा कोई भी अभियान नहीं रे।
गुरु बिन ज्ञान नहीं रे॥

जब तक रहती गुरु से दूरी,
होती मन की प्यास न पूरी।
गुरु मन की पीड़ा हर लेते,
दिव्य सरस जीवन कर देते।
गुरु बिन जीवन होता ऐसा,
जैसे प्राण नहीं, नहीं रे॥

भटकावों की राहें छोड़ें,
गुरु चरणों से मन को जोड़ें।
गुरु के निर्देशों को मानें,
इनको सच्ची सम्पत्ति जानें।
धन, बल, साधन, बुद्धि,
ज्ञान का, कर अभिमान नहीं रे,
गुरु बिन ज्ञान नहीं रे॥

गुरु से जब अनुदान मिलेंगे,
अति पावन परिणाम मिलेंगे।
टूटेंगे भवबन्धन सारे,
खुल जायेंगे, प्रभु के द्वारे।
क्या से क्या तुम बन जाओगे,
तुमको ध्यान नहीं, नहीं रे॥


                        (साभार एवं सौजन्य - हिंदीजानकारी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.09.2021-रविवार.