II शिक्षक दिन II - कविताये

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2021, 02:19:50 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    II शिक्षक दिन II
                                         कविताये
                                    ----------------

मित्रो,

     आज रविवार, दिनांक-०५.०९.२०२१, आज के दिन का महत्त्व यह है, कि आज, राष्ट्रीय शिक्षक दिन है. इस उपलक्ष्य में  सुनेंगे, माहितीपूर्ण लेख, इस दिन का महत्त्व, भाषण, निबंध, कोट्स , शायरी, कविता, शुभ संदेश, एवं अन्य जानकारी.


                                      कविताये ----
                                    -----------


शिक्षक हैं शिक्षा का सागर, 
शिक्षक बांटे ज्ञान बराबर.

शिक्षक मंदिर जैसी पूजा,
माता-पिता का नाम है दूजा.

प्यासे को जैसे मिलता पानी,
शिक्षक है वही जिंदगानी.

शिक्षक न देखे जात-पात,
शिक्षक न करता पक्ष-पात.

निर्धन हो या हो धनवान,
शिक्षक को सब एक समान.

=========================================

---शिक्षक पर हास्य कविता--

स्टूडेंट्स ज्ञान की एक बात हम बतायें।
पढ़ने लिखने में तुम्हारी भलाई है।

होगी कितनी अच्छाई कैसे हम बतलायें।
टीचर की बातों में होती सच्चाई है।

भोली भाली शक्लों के झूठ हमें दिख जाये।
सालों से हमने ये गुणवत्ता पायी है।

सीधे-सीधे मान लो तुमको जो हम समझायें।
वरना होगी फिर तुम्हारी दिल से ठुकाई है।

=========================================

----गुरु के लिए कविता------

जल जाता है वो दिए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है।

कुछ इसी तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।

अज्ञान को मिटा कर,
ज्ञान का दीपक जलाया है।

गुरु कृपा से मैंने,
ये अनमोल शिक्षा पाया है।

जिसे देता है हर व्यक्ति सम्मान,
जो करता है वीरों का निर्माण।

जो बनाता है इंसान को इंसान,
ऐसे गुरु को हम करते हैं प्रणाम।

गुमनामी के अंधेरे में था
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे,
अनजान बना दिया I

उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।

गुरू बिना ज्ञान कहां,
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहां।

गुरू ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।

दिया ज्ञान का भण्डार हमें
किया भविष्य के लिए तैयार हमें
हैं आभारी उन गुरुओं के हम,
जो किया कृतज्ञ अपार हमें।

=========================================

आदर्शों की मिसाल बनकर,
बाल जीवन संवारता शिक्षक।

सदाबहार फूल-सा खिलकर,
महकता और महकाता शिक्षक।

नित नए प्रेरक आयाम लेकर,
हर पल भव्य बनता शिक्षक।

संचित ज्ञान का धन हमें देकर,
खुशियां खूब मनाता शिक्षक।

पाप व लालच से डरने की,
धर्मीय सीख सिखाता शिक्षक।

देश के लिए मर मिटने की,
बलिदानी राह दिखता शिक्षक।

प्रकाशपुंज का आधार बनकर,
कराव्या अपना निभाता शिक्षक।

प्रेम सरिता की बनकर धारा,
नैया पार लगता शिक्षक।
=========================================


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.09.2021-रविवार.