II पिठोरी व पोलाला अमावस्या II - लेख क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2021, 02:36:02 AM

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Atul Kaviraje

                            II पिठोरी व पोलाला अमावस्या II
                                       लेख क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज का यह दिन याने, सोमवार, दिनांक-०६.०९.२०२१,दो  विशेष पर्व लेकर आया है. आज पिठोरी  अमावस और बैल पोळा है. आईए जानते है  इन  दो महत्त्वपूर्ण पर्वो कि विशेषताये, महत्त्व , पूजा विधी, कथा, व्रत , एवं अन्य  महत्त्वपूर्ण जानकारी.

             पिठोरी व पोलाला अमावस्या कथा पूजा विधि:-----

     पिठोरी अमावस्या के दिन विवाहिता औरतें अपने बच्चों एवं पति के लिए ये व्रत रखती है. यह त्यौहार उत्तरी भारत के कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है. देश के कुछ जगहों पर इसे सावन महिना का ही दिन माना जाता है. आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पिठोरी अमावस्या को पोलाला अमावस्या कहते है.

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पिठोरी अमावस्या व पोलाला अमावस्या 2021 कब  है?
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी अमावस्या पूजा विधि
पिठोरी अमावस्या
पोलाला अमावस्या
पोलाला अमावस्या पूजा विधि
पोलाला अमावस्या कथा
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     पिठोरी अमावस्या भादों महीने की अमावस्या के दिन को आती है. यह 6 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है.

                  पिठोरी अमावस्या का महत्व:-----

     पिठोरी अमावस्या व्रत का महत्व और उसके बारे में सबसे पहले माता पार्वती ने बताया था. उन्होंने स्वर्गलोक के देव राजा इंद्र की पत्नी को इसके बारे में बताया था. माता पार्वती ने बताया था कि इस व्रत के रखने से जीवन में बच्चों को सुख समृद्धि मिलती है, वे बहादुर बनते है.

               पिठोरी अमावस्या पूजा विधि:-----

     यह व्रत शादीशुदा औरतें, विशेषकर जिनके बच्चे होते है, वे माँ ये व्रत रखती है.
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर, पवित्र नदी में स्नान किया जाता है, फिर सूर्य को जल को चढ़ाया जाता है, रोज की पूजा की जाती है.

     अमावस्या को पितरों का दिन कहा जाता है, इसलिए इस दिन पिंड दान एवं तर्पण करें. श्राद्ध महालय पक्ष महत्व,पितृ मोक्ष अमावस्या के बारे में जानने के लिए पढ़े.
गरीबों एवं जरूरतमंदों को अन्य दान, छाता, शाल, चप्पल का दान करें.
हो सके तो पूरी, सब्जी एवं हलुआ को बनाकर गरीबों, मुख्य रूप से बच्चों को खिलाये.
इस दिन वे 64 देवीओं की पूजा आराधना करते है. उनसे अपने बच्चों एवं परिवार की खुशहाली के लिए प्राथना करते है, लम्बी आयु की प्राथना की जाती है. वैसे हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हिन्दुओ के 35 करोड़ देवी देवता है.

     पीठ मतलब आटा होता है, जिसे खाकर मनुष्य को जीवन मिलता है, वो अपना पेट भरता है. इस आटे का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व होता है.
इसी आटे से 64 देवीओं की प्रतिमा बनाई जाती है. और फिर उसकी पूजा की जाती है. इन्हें अपनी इच्छा अनुसार छोटा बड़ा बना सकते है. इन्हें चाहें तो कलर कर भी कर सकते है, एवं वस्त्र पहनाएं.

     कुछ क्षेत्रों में देवी दुर्गा को योगिनी के रूप में पूजा की जाती है. इसलिए हर एक पीठ एक योगिनी को दर्शाता है. इस तरह 64 योगिनी है, जिनकी पूजा की जाती है.
इन सभी 64 देवी की प्रतिमाओं को एक साथ एक जगह, किसी चौकी या पटे पर रखा जाता है.

     जेवर पहनाने के लिए, बेसन को गूथकर, आटा तैयार करें. अब इससे गले का, मांग टिका, चूड़ी, कान के बाले बनाकर देवी को पहनाएं.

     फूलों से पूजा वाले स्थान को सजाएँ. देवियों की प्रतिमा के उपर फूलों का छत्र बनायें.पूजा में प्रसाद के लिए पकवान बनाये जाते है. पूरम पोली, गुझिया, शक्कर पारे, गुड़ के पारे, मठरी, बनाई जाती है.

     कई लोग अपने घर में अलग से पूजा नहीं करते है, मोहल्ले में एक जगह इक्कठा होकर पूजा करते है.

     शाम को इसकी पूजा होती है, देवी की प्रतिमा को सुहाग का समान चढ़ाया जाता है. साड़ी ब्लाउज चढ़ाया जाता है.

     पूरी विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती करते है, और फिर पंडित जी को सबसे पहले प्रसाद के रूप से पकवान देते है. अपने से बड़ों को पकवान देकर पैर छुए जाते है.पंडितों को खाना खिलाया जाता है.


                            (साभार एवं सौजन्य-दीपावली .को .इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2021-सोमवार.