II बैल पोला त्यौहार II - कविता क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2021, 12:51:01 PM

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Atul Kaviraje

                             II बैल पोला त्यौहार II
                                 कविता क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज का यह दिन याने, सोमवार, दिनांक-०६.०९.२०२१,दो  विशेष पर्व लेकर आया है. आज पिठोरी  अमावस और बैल पोळा है. आईए जानते है  इन  दो महत्त्वपूर्ण पर्वो कि विशेषताये, महत्त्व , पूजा विधी, कथा, व्रत , कविता एवं अन्य  महत्त्वपूर्ण जानकारी.


                                कविता क्रमांक-1
                     " दो बैलों की जोड़ी लिए किसान चला "
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दो बैलों की जोड़ी लिए किसान चला, 
देखो रे वो धरती का भगवान चला. 

तेरी टांगें न थकतीं, नहीं थकते बाजू तेरे 
सोना बन के निकलेंगे तू ने जहां बीज बिखेरे 
अन्नदाता का रूप धरे इंसान चला, 
देखो रे वो धरती का भगवान चला.

न परवाह खाने-पीने की, न ही अपने रूप की है
सर्दी, गर्मी, बारिश, लूएं, न ही चिंता धूप की है
अपने होंठों पर लेकर मुस्कान चला,
देखो रे वो धरती का भगवान चला.

कारीगर, मजदूर, मंत्री कहते हैं सब व्यापारी
तेरे सहारे हैं जीते सभी देश के नर-नारी,
लाडला मां का और भारत की शान चला.

दो बैलों की जोड़ी लिए किसान चला,
देखो रे वो धरती का भगवान चला.

                  कवी-घनश्याम अग्रवाल
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                          ( साभार एवं सौजन्य-अमर उजाला .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2021-सोमवार.