"हरतालिका तीज" - लेख - कविता - क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2021, 12:21:57 AM

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Atul Kaviraje

                                   "हरतालिका तीज"
                                     लेख क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज का दिन, याने ०९.०९.२०२१-गुरुवार, का दिन हरतालिका तिज का शुभ पर्व लेकर आया है. श्री गणेश चतुर्थी, का ये पूर्व दिन,  हरतालका तिज, को उतना  ही महत्त्व प्राप्त है.  आईए जानते  है, इस दिन का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण लेख,व्रत विधी, पूजा विधी, कथा, कविता, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

         इस तारीख को है हरतालिका तीज व्रत, सुहागिन महिलाएं करती व्रत-----

     हरितालिका तीज (Hartalika Teej 2021) सावन के बाद आने वाले भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। करवा चौथ की तरह रखे जाने इस व्रत को बहुत बड़ा व्रत माना जाता है। खासकर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में इस व्रत को मनाया जाता है। हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

     इस साल हरितालिका 9 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। हरितालिका तीज से पहले सावन में हरियाली और कजरी तीज मनाई जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।

     हरतालिका तीज व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के रहती हैं। हर जगह अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार नियम अलग-अलग है। कई जगह फलाहार कर सकते हैं। पूरे दिन के व्रत रखने के बाद अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है।


                        (साभार एवं सौजन्य-अनुराधा पांडे)
                         (संदर्भ -लाईव्ह  हिंदुस्थान .कॉम) 
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                                  हरियाली तीज
                                 कविता क्रमांक-१
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श्रावण मास तृतीया तिथि
शुक्ल पक्ष में
हरियाली तीज पर्व
हर्षोल्लास संग
प्रकृति की बिखरी
मनभावन छटा बीच
हरियाली संग में
होता ये पावन पर्व है।

निर्जला व्रत रख
हाथों में मेंहदी सजा
पैरों में सुर्ख महावर लगा
सोलह श्रृंगार किए
सजी धजी सुहागिनें
करती शिव गौरी की
आराधना वंदना
माँगती अक्षय सुहाग का वरदान
फूली नहीं समाती हैं।

झूला झूलती सखियों संग
अल्हड़ मदमस्त सी
चटख मेहंदी लगे हाथ देख
मन ही मन इठलाती,शरमाती हैं।

मायके में सखियों संग
छेड़छाड़ करती
कजरी गीत गाती
प्रियतम की यादों को
दिल से लगाये
मन ही मन हर्षाती हैं।

बेटी की खुशियां देख
हर्षित माँ का मन
आँचल में समेट अपने
दुआएं लुटाती है।

बेटी की मुस्कान देख
पिता की आँखें खुशी से
नम हो जाती हैं
कल की नन्ही कली
आज फूल बन इतराती है
माँ बाप के कलेजे को
ठंडक पहुँचाती है
अक्षय सुहाग का आशीष पाती है।


                     (साभार एवं सौजन्य-सुधीर श्रीवास्तव)

                              (संदर्भ-स्टोरी मिरर .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.09.2021-गुरुवार.