" हरतालिका तीज" - कविता क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2021, 10:59:14 PM

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Atul Kaviraje

                                     " हरतालिका तीज"
                                       कविता क्रमांक-4
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मित्रो,

     आज का दिन, याने ०९.०९.२०२१-गुरुवार, का दिन हरतालिका तिज का शुभ पर्व लेकर आया है. श्री गणेश चतुर्थी, का ये पूर्व दिन,  हरतालका तिज, को उतना  ही महत्त्व प्राप्त है.  आईए जानते  है, इस दिन का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण लेख,व्रत विधी, पूजा विधी, कथा, कविता, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.


हरियाली की चादर ओढ़े
        देखो सावन कैसे बरसा है
रंग बिरंगे परिधानों में
        देखो मन कैसे मचला है।

आखिर क्या खास इस त्यौहार में है
        जो इसकी हो रही इतनी चर्चा है
शिवजी और पार्वती का अद्भुत मिलन
        हरियाली की बाहों में सोने को मन तरसा है।

हरियाली को समटे प्रकृति मुस्कुरा रही है
        पहला सावन मायके में, बेटी हरियाली तीज मना रही है
पति के इंतज़ार में विरहणी कजरी गा रही है
        पपैये के समान विदेश में बैठे पति को संदेशा पहुंचा रही है।

बहुत ही खास तीज का त्यौहार है
       पति के आगे ही झुकता हर पत्नी का सम्मान है
कर के समर्पित कुमकुम,रोली,मेहँदी
        हरियाली के बाहों में फिर पत्नी करती विराम है।

                       (संदर्भ-एन रिंकल .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.09.2021-गुरुवार.