II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II- बारिश की बूंद क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2021, 12:10:47 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                       II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
                     -------------------------------------------

मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-4), के बोल है- "भीग रहा है गाँव"


                                  बारिश का मौसम कविता
                                  बारिश की बूंद क्रमांक-4
                                      "भीग रहा है गाँव"
                               --------------------------


मुखिया के टपरे हरियाये
बनवारी के घाव

सावन की झांसी में गुमसुम
भीग रहा है गाँव

धन्नो के टोले का तो
हर छप्पर छलनी है

सब की सब रातें अब तो
आँखों में कटनी हैं

चुवने घर में कहीं नहीं
खटिया भर सूखी ठाँव

निंदियारी आँखें लेकर
खेतों में जाना है

रोपाई करते करते भी
कजली गाना है

कीचड़ में ही चलते चलते
सड़ जाएंगे पाँव


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2021-मंगळवार.