हिंदी दिवस कविता- हिंदी कविता क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2021, 12:55:05 AM

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Atul Kaviraje

                                           "हिंदी दिवस"
                                        हिंदी दिवस कविता
                                       हिंदी कविता क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२१-मंगलवार का दिन है. आज के दिन का विशेष, आज "हिंदी दिवस" है. आईए जानते है, आज के दिन का महत्त्व, कविताये, एवं महत्त्वपूर्ण जानकारी.


वह भाषा, जिसमें तुमने यौवन
प्रीत के पाठ पढ़े मां
मित्ती का ली मैंने...
तुतलाकर मुझमें बोले मां भी
मेरे शब्दों में बोली थी
जा मुंह धो ले जै जै करना सीखे थे
और बोले थे अल्ला-अल्ला
मेरे शब्द खजाने से ही खूब किया हल्ला गुल्ला
उर्दू मासी के संग भी
खूब सजाया कॉलेज मंच
रची शायरी प्रेमिका पे
और रचाए प्रेम प्रपंच
आंसू मेरे शब्दों के
और प्रथम प्रीत का प्रथम बिछोह
पत्नी और बच्चों के संग फिर
मेरे भाव के मीठे मोह
सब कुछ कैसे तोड़ दिया
और सागर पार में जा झूले
मैं तो तुमको भूल न पाई
कैसे तुम मुझको भूले
भावों की जननी मैं, मां थी
मैं थी रंग तिरंगे का
जन-जन की आवाज भी थी
स्वर थी भूखे नंगों का
फिर क्यों एक पराई सी मैं
यों देहरी के बाहर खड़ी
इतने लालों की माई मैं
क्यों इतनी असहाय पड़ी...


                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीजानकारी .इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2021-मंगळवार.