विश्व ओज़ोन दिवस-"ओझोन दिन"-कविता क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2021, 01:02:37 AM

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Atul Kaviraje

                                       विश्व ओज़ोन दिवस
                                         "ओझोन दिन"
                                      कविता  क्रमांक -4
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मित्रो,

     आज  दिनांक -16.09.2021-गुरुवार   है . आज  के  दिन  का  महत्त्व  यह  है  कि , आज  "विश्व ओज़ोन दिवस" है . आईए , जान  लेते  है , इस  दिन  का  महत्त्व , अन्य  जानकारी , एवं  कुछ  पर्यावरण  कविताये , रचनाये . 


( लावणी छंद )
प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री,
सब पिण्डों में, अनुपम है।
जल,वायु का मिलन यहाँ पर,
अनुकूलन भी उत्तम है।
सब जीवो को जन्माती है,
माँ के जैसे पालन भी।
मौसम ऋतुएँ वर्षा,जल,का
करती यह संचालन भी।

सागर हित भी जगह बनाती,
द्वीपों में यह बँटती है।
पर्वत नदियाँ ताल तलैया,
सब के संगत लगती है।
मानव ने निज स्वार्थ सँजोये,
देश प्रदेशों बाँट दिया।
पटरी सड़के पुल बाँधो से,
माँ का दामन पाट दिया।

इससे आगे सुख सुविधा मे,
भवन, इमारत पथ भारी।
कचरा गन्द प्रदूषण बाधा,
घिरती यह पृथ्वी प्यारी।
पेड़ वनस्पति जंगल जंगल,
जीव जन्तु जड़ दोहन कर।
प्राकृत की सब छटा बिगाड़े,
मानव ने अन्धे हो कर।

विपुल भार,सहती माँ धरती,
निजतन धारण करती है।
अन,धन,जल,थल,जड़चेतन का,
सब का पालन करती है।
प्यारी पृथ्वी का संरक्षण,
अपनी जिम्मेदारी हो।
विश्व सुमाता पृथ्वी रक्षण,
महती सोच हमारी हो।

माँ वसुधा सी अपनी माता,
यह शृंगार नहीं जाए।
आज नये संकल्प करें मनु,
माँ की क्षमता बढ़ जाए।
नाजायज पृथ्वी उत्पीड़न,
विपदा को आमंत्रण है।
धरती माँ की इज्जत करना,
वरना प्रलय निमंत्रण है।

पृथ्वी संग संतुलन छेड़ो,
कीमत चुकनी है भारी।
इतिहासो के पन्ने पढ़लो,
आपद ने संस्कृति मारी।
प्यारी पृथ्वी प्यारी ही हो,
ऐसी सोच हमारी हो।
सब जीवों से सम्मत रहना,
वसुधा माँ सम प्यारी हो।

माँ काया से,स्वस्थ रहे तो,
मनु में क्या बीमारी हो।
मन से सोच बनाले मानव,
कैसी, क्यों लाचारी हो।
माँ पृथ्वी प्राणों की दाता,
प्राणो से भी प्यारी है।
पृथ्वी प्यारी माँ भी प्यारी,
माँ से पृथ्वी प्यारी है।

मानव तुमको आजीवन ही,
धरती ने माँ सम पाला।
बन,दानव तुमने वसुधा में,
क्यूँ,तीव्र हलाहल डाला।
मानव ने खो दी मानवता,
छुद्र स्वार्थ के फेरों में।
माँ का अस्तित्व बना रहता,
आशंका के घेरों में।


                (साभार एवं सौजन्य-✍©बाबू लाल शर्मा, "बौहरा"- सिकंदरा)
                                      (संदर्भ-कविताबहार.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.09.2021-गुरुवार.