विश्व ओज़ोन दिवस-"ओझोन दिन"-कविता क्रमांक -5

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2021, 01:32:13 AM

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Atul Kaviraje

                                      विश्व ओज़ोन दिवस
                                         "ओझोन दिन"
                                      कविता  क्रमांक -5
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मित्रो,

     आज  दिनांक -16.09.2021-गुरुवार  है . आज  के  दिन  का  महत्त्व  यह  है  कि , आज  "विश्व ओज़ोन दिवस" है . आईए , जान  लेते  है , इस  दिन  का  महत्त्व , अन्य  जानकारी , एवं  कुछ  पर्यावरण  कविताये , रचनाये . 


( लावणी छंद )
वसुधा का श्रृंगार छिना अब
पेड़ खतम वन कर डाले।
जल, खनिजों का दोहन कर के,
माँ के तन मन कर छाले।
मातु मुकुट से मोती छीने,
पर्वत नंगे जीर्ण किए।
माँ को घायल करता पागल,
उन घावों को कौन सिंए।

मातु नसों में अमरित बहता,
सरिता दूषित क्यूँ कर दी।
मलयागिरि सी हवा धरा पर,
उसे प्रदूषित क्यूँ कर दी ।
मातृशक्ति गौरव अपमाने,
मानव भोले अपराधी।
जिस शक्ति को आर्यावर्त में,
देव शक्ति ने आराधी।

मिला मनुज तन दैव दुर्लभम्,
"वन्य भेड़िये" क्यूँ बनते।
अपनी माँ अरु बहिन बेटियाँ,
उनको भी तुम क्यों छलते।
माँ की सुषमा नष्ट करे नित,
कंकरीट तो मत सींचे।
मातृ शक्ति की पैदाइश तुम,
शुभ्र केश तो मत खींचे।

ताल तलैया सागर,नाड़ी,
नदियों को मत अपमानो।
क्षितिजल,पावकगगन,समीरा,
इनसे मिल जीवन मानो।
चेत अभी तो समय बचा है,
करूँ जगत का आवाहन।
बचा सके तो बचा मानवी,
कर पृथ्वी का आराधन।

शस्य श्यामला इस धरती को,
आओ मिलकर नमन करें।
पेड़ लगाकर उनको सींचे,
वसुधा आँगन चमन करें।
स्वच्छ जलाशय रहे हमारे,
अति दोहन से बचना है।
पर्यावरणन शुद्ध रखें हम,
मुक्त प्रदूषण रखना है।

ओजोन परत में छिद्र बढ़ा,
उसका भी उपचार करें।
कार्बन गैस की बढ़ी मात्रा,
ईंधन कम संचार करे।
प्राणवायु भरपूर मिले यदि,
कदम कदम पर पौधे हो।
पर्यावरण प्रदूषण रोकें,
वे वैज्ञानिक खोजें हो।

तरुवर पालें पूत सरीखा,
सिर के बदले पेड़ बचे।
पेड़ हमे जीवन देते है,
मानव-प्राकृत नेह बचे।
गउ बचे संग पशुधन सारा,
चिड़िया,मोर पपीहे भी।
वन्य वनज,ये जलज जीव ये,
सर्प सरीसृप गोहें भी।

धरा संतुलन बना रहे ये,
कंकरीट वन कम कर दो।
धरती का शृंगार करो सब,
तरु वन वनज अभय वर दो।
पर्यावरण सुरक्षा से हम,
नव जीवन पा सकते हैं।
जीव जगत सबका हित साधें,
नेह गीत गा सकते हैं।


             (साभार एवं सौजन्य-✍©बाबू लाल शर्मा, "बौहरा"- सिकंदरा)
                                  (संदर्भ-कविताबहार.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.09.2021-गुरुवार.