II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II-बारिश की बूंद क्रमांक-14

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2021, 01:03:32 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                       II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
                     -------------------------------------------

मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-14), के बोल है-  "आषाढ़ की रात"

                                      बारिश का मौसम कविता
                                     बारिश की बूंद क्रमांक-14
                                          "आषाढ़ की रात"
                                   ---------------------------


बारिश का मौसम कविता – आषाढ़ की रात !---
------------------------------------------

मध्य रात्रि ही लगेगी,
आज पूरी रात भर में!

आह!
ये, आषाढ़ की बरसाती रात है!
ऊपर गगन से जल,
नीचे धरा पर टूटता-
जोड़ देता, पृथ्वी और आकाश को,
जो अचानक!
तड़ित, विस्मित देह, कंपित,
ओझलाझल है, नज़र से!

बस, चमकीला नीर,
गिरता जो व्यथित
अंधड़ हवा से उछलता, या हल्की,
टप. . .टप. . .!
पर है धुप्प अँधेरा जहाँ में,
हर तरफ़!
काली अमावसी रात,
मानो करेला, नीम चढ़ा!
मैं, असहाय, सहमी,
है जी, उचाट मेरा!
देख रही पानी को,
काली भयानक रात को,
तोड़ कर, काट,
फेंक देती जो विश्व को,
मुझसे, बिल्कुल अलग-थलग,
अलहदा. . .और,
मैं, रौंद देती हूँ,
मेरी उँगलियों के बीच में,
वेनी के फूल!

मेरी व्याकुल मन चाहे
आएँ स्वजन, इस आषाढ़ी रात में
मन पुकारता है, उन बहारों को,
लौट गईं जो उलटे पाँव!
आगत आया ही नहीं, इस बार!
पानी नहीं, मुझे आग चाहिए!

– लावण्या शाह
  -------------

                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
                    -------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.09.2021-शुक्रवार.