II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II-बारिश की बूंद क्रमांक-16

Started by Atul Kaviraje, September 26, 2021, 01:08:02 AM

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Atul Kaviraje

                       II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
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मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-16), के बोल है- "बरखा रानी"


                                  बारिश का मौसम कविता
                                 बारिश की बूंद क्रमांक-16
                                        "बरखा रानी"
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बारिश का मौसम कविता – बरखा रानी !----
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कैसे करूँ मैं स्वागत, तेरा बता ओ बरखा रानी
घर की छत गलती है, जब-जब बरसे पानी.

बारिश में लगता है, मौसम बड़ा सुहाना
बूँद-बूँद ताल बजाए, पंछी गाएँ गाना
मैं सोचूँ, कैसे चूल्हे की आग जलानी.

ठंडी-ठंडी बौछारें हैं, पवन चले घनघोर
बादल गरजे उमड़-घुमड़ नाचे वन में मोर
मन मेरा सोचे, कैसे गिर,ती दीवार बचानी.

इंद्रधनुष की छटा बिखेरी, बरसा पानी जम के
पाँवों में नूपुरों को बाँधे, बरखा नाची छम से
मैं खोजूँ वो सूखा कोना, जहाँ खाट बिछानी.

प्रकृति कर रही स्वागत तेरा, कर अपना शृंगार
पपीहे ने किया अभिनंदन, गा कर मेघ मल्हार
मैं भी करता स्वागत तेरा, भर अँखियों में पानी.

आ जा ओ बरखा रानी !
आ जा ओ बरखा रानी !

– हेमंत रिछारिया
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.09.2021-रविवार.