II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II-"चैत्र में वर्षा की एक रात"

Started by Atul Kaviraje, September 29, 2021, 01:01:11 AM

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Atul Kaviraje

                        II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
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मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-19), के बोल है- "चैत्र में वर्षा की एक रात"


                                   बारिश का मौसम कविता
                                   बारिश की बूंद क्रमांक-19
                                   "चैत्र में वर्षा की एक रात"
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बारिश का मौसम कविता – चैत्र में वर्षा की एक रात !----
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रात बारह बारह बजे
आँधी के साथ उड़ने लगी
घर की खपरैल
पानी के साथ गिरते ओलों से
घबरा गई माँ
और बढ़ गई पिता की चिंता

माँ टपकती छत के नीचे से
सामान हटाती हुई
कोसने लगी इंद्र को

पिता खटिया पर बिछी
कथरी उठा जा बैठे पौर में
और उखड़ती हुई साँस से
चिल्ला रहे थे
"गेहूँ भीतर धरो
कपड़ा लत्ता उठा लो
चखिया पे फट्टा डार दो"

असमय बरसात से
बैठ गया माँ बाप का कलेजा
और मैंने डबडबाई आँखों से
पूरे घर को हिलते हुए देखा

– हरगोविन्द पुरी
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.09.2021-बुधवार.