II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II-बारिश की बूंद क्रमांक-20

Started by Atul Kaviraje, September 30, 2021, 01:50:00 AM

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Atul Kaviraje

                        II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
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मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-19), के बोल है- "एक कहानी है बादल"


                                     बारिश का मौसम कविता
                                     बारिश की बूंद क्रमांक-20
                                       "एक कहानी है बादल"
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बारिश का मौसम कविता – एक कहानी है बादल !
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मैं सैलानी- तुम सैलानी
गति दोनों की ही मनमानी।
पलती है भीतर दोनों के –
एक कुँआरी पीर अजानी।

दोनों में हैं घुटन भरी –
दोनों में पानी है
बादल! मेरी और तुम्हारी
एक कहानी है।

अनगिन रूप-धरे जीने को
लिए-लिए छलनी सीने को
कहाँ-कहाँ भटके हैं हम-तुम
लेकर अपना यौवन गुमसुम।

फिर गाँव, बस्ती में बन में
कुछ न कहीं पाया जीवन में
फिर भी हँसते रहे सदा-
कैसी नादानी है।

हमने जितने स्वप्न सँवारे
मौसम पर बंधक हैं सारे
कितने ही दिन हम ऋतुओं के
आगे रोए – हाथ पसारे।

कहकर सबसे दुआ बंदगी
धुआँ-धुआँ हो गई ज़िंदगी
हम पर बची नहीं
कोई भी नेह निशानी है।

– कन्हैयालाल बाजपेयी
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                   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.09.2021-गुरुवार.