"अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस"-वृद्धजन पर कविताएं-कविता क्रमांक-A

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2021, 02:12:06 AM

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Atul Kaviraje

                                 "अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस"
                                       वृद्धजन पर कविताएं
                                         कविता क्रमांक-A
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मित्रो,

     आज ०१.१०.२०२१-शुक्रवार है. आज  "अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस" है. आईए, इस सुनहरे अवसर पर सुनते है वृद्धजन पर कविताएं .


वृद्धजन पर कविताएं - अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस-----

      अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस जो अंग्रेज़ी में International Day Of Older Persons के नाम से जाना जाता है, इसे प्रत्येक वर्ष 01 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 14 दिसम्बर, 1990 को निर्णय लेने के बाद 01 अक्तूबर 1991 का दिन 'अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध-दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा। 'अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस' को कई और भी नाम दिए गए हैं जैसे -  'अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस', 'अंतरराष्ट्रीय वरिष्‍ठ नागरिक दिवस',  'विश्व प्रौढ़ दिवस', 'अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस' 'सीनियर सिटीजन डे', Day of Senior Citizen आदि। किन्तु इन सबका उद्देश्य एक है, और वह है अपने वरिष्‍ठ नागरिकों का सम्मान करना एवं उनके सम्बन्ध में चिंतन करना। वर्तमान समय में वृद्ध समाज अत्यधिक कुंठा ग्रस्त है। उनके पास जीवन का विशद अनुभव होने के बावजूद कोई उनसे किसी बात पर परामर्श नहीं लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व ही देता है। वृद्ध जन स्वयं को उपेक्षित,  निष्प्रयोज्य महसूस करने लगे हैं। अपने वरिष्ठ नागरिकों को, बुज़ुर्गों को इस दुःख और संत्रास से छुटकारा दिलाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दिशा में ठोस प्रयास किये जाने की बहुत आवश्यकता है।
कवियों, शायरों ने वृद्ध जन के प्रति अनेक कविताएं लिखी हैं।

सीनियर सिटीजन दिवस------


मान जो भी मिल रहा वो नौजवाँ तेवर को है।
अब बुजुर्गों का तो बस सम्मान कहने भर को है।

पल रहे वृद्धाश्रम में जाने कितने वृद्ध जन ,
सीनियर सिटीजन दिवस यूँ एक अक्टूबर को है।

🍁 - कुँवर कुसुमेश.
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वृद्धजन दिवस----

उन सभी वृद्धजन को मेरा प्रणाम -
जो नहीं जानते
कि आज है वृद्ध जन्म दिवस !!!

वह जो लगा रहा है अदालत के चक्कर
दशकों से
अपने मृत बेटे को न्याय दिलाने,

झुक गई है उसकी कमर
घिस गया है चश्मा,
उस वृद्ध को मेरा प्रणाम !

वह मां जो अपनों के द्वारा
ठुकरा दी गई
और बैठी है सड़क के किनारे
टूटा, पिचका कटोरा लिए भीख मांगते
पेट की खातिर
दुआएं देती अपने बच्चों को
उस मां को प्रणाम !

मेरा प्रणाम, उस दादी को, उस नानी को,
उस दादा को, उस नाना को
जो अपने नाती-पोतों को
लेना चाहते हैं अपनी गोद में

सुनाना चाहते हैं एक कहानी
मगर छोड़ दिए गए हैं घर से दूर
एक वृद्ध आश्रम में।

तो, मेरा प्रणाम उन सभी वृद्धजन को
जो नहीं जानते कि आज वृद्धजन दिवस है !!!

🍁 - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-वर्षांसिंग १ .ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.10.2021-शुक्रवार.