"अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस"- वृद्धजन पर कविताएं -कविता क्रमांक-D

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2021, 02:19:07 AM

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Atul Kaviraje

                                 "अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस"
                                        वृद्धजन पर कविताएं
                                         कविता क्रमांक-D
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मित्रो,

     आज ०१.१०.२०२१-शुक्रवार है. आज  "अंतरराष्ट्रीय वृद्ध नागरिक दिवस" है. आईए, इस सुनहरे अवसर पर सुनते है वृद्धजन पर कविताएं .

वृद्धजन पर कविताएं - अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस-----

वृद्ध जन----

बोझिल मन
अकेला खालीपन
बढ़ती उम्र।

सारा जीवन
तुम पर अर्पण
अब संघर्ष।

वृद्ध जन
तिल-तिल मरते
क्या न करते?

🍁 - सुशील कुमार शर्मा
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माँ को वृद्धाश्रम मत भेज----

जिस माँ ने तुम्हें जीवन दिया
उस माँ को क्यों तुम भूलना चाहते हो,
तुम इतने क्यों लाचार बनना चाहते हो।

बार-बार माँ तुमसे यही कहती है कि अपना ले
माँ को वृद्धाश्रम मत भेज।

तुम्हारे घर के सामने मुझे
छोटी सी कुटिया मुझे रहने के लिए दे दे ,
मैं उसमें रह लूँगी।

तुम सुख दो या दुःख दो
मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता,
बस तुम दिन में एक बार दिख जाओ
इसी बात की मुझे खुशी हो।

फिर माँ वही कहती है अपना ले
माँ को वृद्धाश्रम मत भेज।

🍁 -  रवि पाटीदार
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-वर्षांसिंग १ .ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.10.2021-शुक्रवार.