II राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती II-महात्मा गांधी कविता

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2021, 08:02:38 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                             II राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती II
                           --------------------------------
मित्रो,

     आज  शनिवार का ०२.१०.२०२१-का शुभ दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती लेकर आया है. महात्मा गांधी जी को सभी प्यार से " बापू " कहकर भी पुकारते थे.

     यहाँ राष्ट्रपिता मोहन दास कर्मचंद गाँधी 5 बेहतरीन कवितायेँ प्रस्तुत है। जिनमें दो काव्य गीत है। – सत्य अहिंसा के दम से, बापू देख तेरा हिन्दुस्तान, लेकर गाँधी तेरा नाम, हे बापू मेरे, देख गाँधी की चाल, ये एक तरह से महात्मा गाँधी का यशोगान है। जो उनके योगदान का वर्णन करती है। विख्यात हिंदी के कवी "श्री लोकेश  इंदौर" जी कि ये बेहतरीन पांच रचनाये मैं आपके सामने रखता हू.



                                       महात्मा गांधी कविता
                                        (कविता क्रमांक-3)
                                      "लेकर गाँधी तेरा नाम"
                                    -----------------------


लेकर गाँधी तेरा नाम
चला रहे नेता दूकान.

कोई कहे मैं सत्य पुजारी
कोई बोले मैं अहिंसाधारी.

करके हर वक्त तुझे प्रणाम
करे मर्यादा का राम नाम.

मुंह में है राम राम छाया
अंदर दबाये लूट की माया.

ओढ़ कर तेरे गुणों की खाल
असल में रखे रावण सा हाल.

देख इनका गाँधी इमोशन
जनता करवा रही ही शोषण.

वादों का देकर ये भोजन
कर रहे हैं खुद का पोषण.

गाँधी बस कर रहे तुझे बदनाम
मार अहिंसा की लाठी दे ईनाम.

               कवी "श्री लोकेश इंदौर"
              ----------------------


                                      महात्मा गांधी कविता
                                       (कविता क्रमांक-4)
                                           "हे बापू मेरे"
                                    ----------------------

     महात्मा गाँधी देश के ऐसे महापुरुष है। जिनका अस्तित्व जब तक यह भारत देश है तब तक बना रहेगा। भारत की मुद्रा हो या डाक टिकट उनका चित्र हर किसी के मन मस्तिष्क में है। और इसका कारण उनका देश को आजाद कराने में अमूल्य योगदान ही है। 


हे बापू मेरे, हे बापू मेरे,

तेरे होने से आजादी मिली है
जो तु ना होता आजादी नहीं है,
हे बापू मेरे, हे बापू मेरे

तूने ही दिलाई है
सदियाँ रोशन की
ये जो तेरी लाठी है
लायी आजादी मौसम की
यहाँ तेरा नाम अमर है
यह तेरी है जमीं है
हे बापू मेरे .........

तु लाया तोड़कर
स्वाभिमान की गलियां
होकर तूने न्योछावर
खिलाई हंसी की कलियाँ
जहां पड़े तेरे कदम
तु बस गया वहीं है
हे बापू मेरे .............

दिया तूने आजाद भारत
आंदोलन कर करके
दूर भगाये विदेशी
तुने डटकर के
तु करोड़ों में है एक
तुझसा कोई नहीं है
हे बापू मेरे .........

                 कवी "श्री लोकेश इंदौर"
                ----------------------


                                       महात्मा गांधी कविता
                                        (कविता क्रमांक-5)
                                        "देख गाँधी की चाल"
                                     ----------------------


देख कर गाँधी की चाल
हुआ अंग्रेजों का बुरा हाल
हर कदम पर मुकी खिलवाकर
किया तुने गोरों का बेहाल,
ओ बापू तेरी मिसाल यहाँ.

सितम जो गुलामी का तुमने सहा है
दूर करने का उसे दम भी भरा है।
सहे जुल्म कितने या बंदिशों ने रोका
फिर अहिंसा की लाठी से हर कोई डरा है,
ओ बापू तेरी पहचान यहाँ.

तु था आजादी का इक परवाना
देख अंग्रेजों का तुझे डर जाना
कानूनी ज्ञान का रख खजाना
सो कहाँ था उनका टिक पाना,
ओ बापू तेरा है रुतबा यहाँ.

                      कवी "श्री लोकेश इंदौर"
                    -----------------------

                        (साभार एवं सौजन्य-मस्करी .कॉम)
                      ---------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.10.2021-शनिवार.