"आंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस" - कविता क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2021, 08:17:52 PM

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Atul Kaviraje

                                   "आंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस"
                                          कविता क्रमांक-4
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मित्रो,

     आज दिनांक-०२.१०.२०२१-शनिवार है. आज का दिन "आंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के नामसे भी मशहूर है. आईए सुनते है, इस दिन का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण जानकारी , एवं कुछ कविताये.

महात्मा गाँधी जी पर कविता  :  4---
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अब तुम मान जाओ कि तुम मर चुके हो मोहनदास
वरना बड़े-बड़ों की लाख कोशिशों के बावजूद I

आज किसी गली से इकलौता पागल न गुजरता राम धुन गाते हुए
गांधीवाद को यूं न घसीटा जाता सरेआम I

आक्रोश को अहिंसा का मुखौटा पहनाते हुए
न बेची जाती दो टके में ईमान, भरे बाजार में I

तुम्हारे आदर्शों का चादर चढ़ाते हुए
वरना दो अक्टूबर को ही केवल याद न किया जाता I

तुम्हें दिलों में जिंदा रखने की झूठी कसमें खाते हुए
यूं रोज हजार बार तुम्हें दफनाया जाता है I

तुम्हें अभिदान के तख्ते पर चढ़ाते हुए इसीलिए
अब मान जाओ कि तुम मर चुके हो मोहनदास I

और यह वादा है हमारा कि हम चंद लम्हों में ही
तुम्हारे वजूद को खत्म कर देंगे
तुम्हारी जय-जयकार करते हुए I

अब तुम मान भी जाओ कि तुम मर चुके हो मोहनदास ।


                 (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-सूत्रसंचालन .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.10.2021-शनिवार.