"शिक्षक दिन"-कविता क्रमांक-8

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2021, 01:10:11 AM

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Atul Kaviraje

                                         "शिक्षक दिन"
                                        कविता क्रमांक-8
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मित्रो,

     आज दिनांक-०५ .१०.२०२१-मंगलवार है. यह दिन "शिक्षक दिन" के नामसे भी मशहूर है. आईए पढते है शिक्षक के गुणगानपर कुछ कविताये, रचनाये----

   
बस चार साल का ही था मैं
जब पहली बार स्कूल गया
किसी ने मेरा हाथ थामा
लगा की जैसे माँ आ गई I

क्या होता है गुरु ?
उस दिन ही मैंने जाना था
पूरे मन, वचन, कर्म से उनको
अपना भगवान माना था I

गुरु ही तो वह बाती है
खुद जलकर प्रकाश फैलता है
अपनी मेधा के बल पर
छात्रों का भविष्य बनाता है I

क्या है हमारी गलती, इससे
हमें अवगत कराता है
सुधार करने का एक मौका देता
फिर स्वयं उसे बताता है |

आत्मविश्वास का एक दीप जलाता
मुश्किलों में साथ निभाता है
तुम सबकुछ कर सकते हो
हर बार यही बतलाता हैं |

नमन करता हूँ मैं उन सबको
जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया है
मैं कौन हूँ और क्या हूँ
मेरा मुझसे परिचय कराया है |


                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आर के अलर्ट.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.10.2021-मंगळवार.