"आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन"-बालिका दिवस पर कविता-कविता क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2021, 01:48:17 AM

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Atul Kaviraje

                                  "आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन"
                                    बालिका दिवस पर कविता
                                         कविता क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज दिनांक ११.१०.२०२१-सोमवार है . आज का दिन "आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन" यह नाम से भी  जाना जाता है. आईए जानते है, इस दिन का महत्त्व, अन्य जानकारी , शुभेच्छाये, और कुछ कविताये, रचनाये.

बालिका दिवस पर कविता---

मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।
मैं भी तो तेरा ही अंश हूँ,
फिर कैसे तू मुझे खुद से
अलग कर सकती है ?
तू तो माँ मेरी अपनी है
फिर क्यों....?

माना की तूने ये खुद से ना चाहा...
विवश हुई तू औरों के हाथों....
पर थोड़ी सी हिम्मत जो करती
तो शायद मैं भी जी पाती...
या फिर किया तूने ये सोच कर
कि जो कुछ सहा है तूने अब तक.....
वो सब सहना पड़े न मुझको...!
क्या बेटी होना ही कसूर है मेरा .....?

जो तू भी मुझे पराया करना चाहती है...!!
तू भी नहीं तो फिर कौन होगा मेरा अपना ?
क्यों मेरे जज्बातों को कुचल देना चाहती है ?
जीवन देने से पहले ही क्यों मार देना चाहती है ?
क्यों... मेरा कसूर क्या है ?
क्या सिर्फ एक बेटी होना ही मेरी सजा है...?

मुझको भी इस दुनिया में आने तो दो ....
कुछ करने का मौका तो दो....
जीवन की हर लड़ाई लड़ कर दिखाउंगी
खुद को साबित करके दिखाऊँगी,
मुझे एक मौका तो दो।
मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।


                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीकविता शायरी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.10.2021-सोमवार.