"नवरात्रि" - कविता क्रमांक-10

Started by Atul Kaviraje, October 13, 2021, 01:20:43 AM

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Atul Kaviraje

                                              "नवरात्रि"
                                          कविता क्रमांक-10         
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मित्रो,

     आज दिनांक-०७.१०.२०२१-गुरुवार के पावन पर्व पर माँ का आगमन हुआ है. आईए नवरात्री के इस शुभ दिन पर देवी माँ का स्वागत करें. मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयो को इस नवरात्री के दिन की बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए सूनते है, देवी की स्तुती पर कुछ कविताये ,रचनाये .

               नवरात्रि पर कविता, नवदुर्गा पर कविता----

      माँ नवदुर्गा के नवरात्रि पर्व के महत्व का वर्णन करती हैं। होली की बौछारें थमते ही, आस्था, भक्ति, विश्वास की लहर चल पड़ी। जी हाँ कल्याणकारी, शुभकारी, शांतिप्रदायिनी माँ नवदुर्गा के नौ रूपों की महिमा को समाहित किए हुए नवरात्रि पर्व का आगमन हो रहा है।

     प्रस्तुत पोस्ट के माध्यम से आज हम नवरात्रि के नौ शुभ दिन तथा माँ नवदुर्गा के कल्याणकारी रूपों का महत्व, वरदान तथा कृपा का स्वरचित कविताओं के द्वारा आनंद प्राप्त करेंगे।

     नवरात्रि की ये कविताएं अवश्य ही सभी के मन को पवित्रता, आस्था, विश्वास और सुख के भावों से सराबोर कर देंगें। कविता के माध्यम से सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। सभी का जीवन पावन, सलिल, सरिस, शीतल फुहारों से अभिसिंचित हो।

     नवरात्रि पर्व नौ दिनों के उत्सव का त्यौहार है। यह अत्यंत शुभ, कल्याणकारी व महत्वपूर्ण समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। प्रति वर्ष दो बार नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। एक चैत्र नवरात्र तथा दूसरा शारदीय नवरात्र।

      इस वर्ष 2021 में नवरात्रि की नवमी तिथि को पर्व का समापन होगा। इन नौ दिनों तक भक्त श्रद्धा पूर्वक उपवास रखकर, कलश स्थापना करके, दीप प्रज्वलित करके माँ आदि शक्ति का पूजन करेंगे।

     अब हम कविताओं के सुहावने सफर को प्रारंभ करते हुए माँ दुर्गा से कल्याणकारी वरदान की प्राप्ति की कामना करते हैं। सर्वप्रथम माँ दुर्गा के श्री चरणों में कुछ काव्य पंक्तियाँ समर्पित करते हुए प्रार्थना करती हूँ कि सभी माँ नवदुर्गा की दया दृष्टि प्राप्त करें और जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति पाए।

NO 1--
शत शत नमन--

तेरे चरणों में हम शत शत नमन करें।
तेरे आलिंगन में सारे दुख दर्द हरे।।

तू ही सुखदात्री तू ही कष्टहारिणी है माँ।
तू ही रक्षाकारिणी तू ही पालनकारिणी है माँ।।

तेरी कृपा से भवसागर में पतवार मिल जाए।
तेरी दया से खोया हुआ घर बार मिल जाए।।

तू ही सृष्टि सवारिणी तू ही भाग्य प्रदायिनी है माँ।
तेरी दृष्टि में सूरज चन्दा कान्ति सजा जाए।।

तेरी भव्यता में सप्तऋषि समस्त समा जाए।
तू ही जगत जननी तू ही ममतामयी हो माँ।।

तेरी गोद में सम्पूर्ण संसार खिल जाए।
तेरे आँचल में स्नेह का सागर सिमट जाए।।

तू ही चक्र संचालिनी तू ही दैत्य संहारिणी है माँ।
तू ही धैर्य प्रदायिनी तू ही काज सवारिणी है माँ।।

--कवयित्री-डौ. विनिता शुक्ला
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                 (साभार एवंसौजन्य-संदर्भ-विचार और शोध .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.10.2021-बुधवार.