"नवरात्रि" - कविता क्रमांक-12

Started by Atul Kaviraje, October 14, 2021, 12:52:54 AM

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Atul Kaviraje

                                               "नवरात्रि"
                                           कविता क्रमांक-12         
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मित्रो,

     आज दिनांक-०७.१०.२०२१-गुरुवार के पावन पर्व पर माँ का आगमन हुआ है. आईए नवरात्री के इस शुभ दिन पर देवी माँ का स्वागत करें. मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयो को इस नवरात्री के दिन की बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए सूनते है, देवी की स्तुती पर कुछ कविताये ,रचनाये .

     नवरात्रि पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण है बल्कि यह त्यौहार नारी शक्ति का प्रतीक भी है। माँ दुर्गा नारी के शक्ति सम्पन्न स्वरूप को उजागर करती हैं। जिस दुर्गा की मंदिर में प्रतिमा स्थापित करके हम पूजा करते है वही दुर्गा स्वरुपा नारी वर्तमान समाज में तिरस्कृत तथा अपमानित हो रही है। क्या यह उचित है– विचार कीजिए। प्रस्तुत कविताओं का संकलन न केवल धार्मिक अनुष्ठान पर बल देता है, अपितु सच्ची भक्ति, पवित्र सोच, निर्मल विचार और नारियों की अस्मिता रक्षा का संदेश भी देता है।

     इस सफर की प्रस्तुत कविता मानव मन के समस्त कलुष, क्लेश, भेदभाव तथा कुत्सित सोच को समाप्त करके स्वच्छ, सलिल, सरस, पावन भावनाओं व अनुभूतियों के साथ नवरात्रि पर्व को सम्पन्न करने का संदेश देती है–

NO 3--
नवरात्रि पर कविता--

नवरात्रि की धूम मच गई।
देवी माँ के द्वार सज गए।।

हर घर कलश स्थापना हो गई।
हर घर शंख नाद ध्वनि गूंजी॥

हर दिन देवी गीत ध्वनित हुए।
हर दिल आस्था विश्वास सजग हुए।।

क्या देवी मंदिर में रहती?
जो समाज में छल बल सहती।

पूजा रह गई आज अधूरी,
माँ ने जब समाज में आंखे खोली।।

कर मन पावन कलुष मिटा,
सच्चे मन से नवरात्रि मना।। 

--कवयित्री-डौ. विनिता शुक्ला
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                 (साभार एवंसौजन्य-संदर्भ-विचार और शोध .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.10.2021-गुरुवार.