"ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" - लेख क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 02:55:04 PM

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Atul Kaviraje

                                     "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी"
                                            लेख क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.१०.२०२१-मंगलवार है. आज "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" का त्योहार मनाया जा रहा है. मराठी कविता के मेरे सभी मुस्लिम कवी-कवयित्री भाई-बहनो को इस त्योहार की बहोत  सारी शुभ-कामनाये. " ईद-ए-मिलाद " मुबारक हो. आईए, इस शुभ अवसर पर पढते है इसका महत्त्व, लेख, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

   Eid Milad-Un-Nabi 2021 |Ed-e-Milad kab hai, ईद मिलाद उन-नबी

     Eid Milad-Un-Nabi 2021:-- इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने में रबी उल बारावफात का चाँद देखा जा चुका है। इस महीने की 12 तारीख को पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इस वर्ष ईद मिलाद-उन-नबी 2021, 19 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

     कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष मस्जिदों में जुलूस नहीं निकाला गया था, क्योंकि किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति नहीं थी। इसीलिए पिछले वर्ष लोगों ने अपने घरों में इस त्यौहार को मनाया था। इस वर्ष भी मस्जिदों में भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति नहीं है, लेकिन कुछ मस्जिदों में जुलूस निकालने की अनुमति दी गयी है, लेकिन भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति नहीं दी गयी।

मिलाद-उन-नबी क्यों मनाया जाता है?
History of Eid Milad-Un-Nabi
बारावफात कैसे मनाया जाता है- (How is Barawafat celebrated)

वर्ष 2021 में बारावफात या ईद मिलाद-उन-नबी 19 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जायेगा।

           मिलाद-उन-नबी क्यों मनाया जाता है?---

     बारावफात, ईद-मिलाद-ए-नबी या 'मीलादुन्नबी' के नामों से भी जाना जाता है। यह मुस्लिम त्यौहारों में से सबसे प्रमुख मनाना जाता है। यह पूरे विश्व में मुसलमानों के विभिन्न समुदाय द्वारा काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन सच्चाई और धर्म के संदेश देने वाला हजरत मुहम्मद साहब के जन्म हुआ था। और इसी तारीख को पैगंबर साहब की मृत्यु भी हुई। ऐसा मनाना जाता है कि पैगंबर साहब 12 दिनों तक बीमार थे। इसीलिए बारावफात मनाया जाता है।

     बारा का मतलब 12 दिन और वफात का मतलब इंतकाल होता है। क्योंकि 12 दिन बीमार होने के बाद मुहम्मद साहब का इतंकाल हुआ था। इसीलिए इस दिन को बारावफात के नाम से जाना जाता है। इस इस्लाम में यह त्यौहार काफी धूम-धाम से मनाया जाता है।

     इस दिन ईद-मिलाद- मीलादुन्नबी भी कहा जाता है। इस दिन पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। शिया समुदाय को लोग इस दिन मुहम्मद साहब का जन्म दिन मनाते है। वे इस दिन को काफी धूम-धाम से मनाते है।

     History of Eid Milad-Un-Nabi: बारावफात का इतिहास काफी पुराना है। विभिन्न मुस्लिम समुदाय के लोगों का अलग-अलग मान्यताएं है। शिया लोग इस दिन को मुहम्मद साहब के जन्म दिन को मनाते है। तो वही सुन्नी समुदाय के लोग इस दिन को इतंकाल के रुप में मनाते है। तथा इसे बारावफात के नाम से जाना जाता है।

     इस्लाम धर्म के रूप में दुनिया को एक अनोखा तोफा दिया। प्राचीन समय में अरब समुदाय में काफी बुराईयां व्याप्त थी। जहां छोटी सी गलती पर लड़कियों का मौत के घाट उतार दिया जाता था। या जिन्दा जला दिया जाता था। थोड़ी-थोड़ी बात पर लोग एक दूसरे के जान लेने के उतारू हो जाते थे। लेकिन रसूल मुहम्मद साहब ने इस्लाम के द्वारा लोगों को जीने का नया तरीका सिखाया।

     मुहम्मद साहब के जीवन की उपलब्धियां काफी है। उन्होंने ने अरब कबीलें को शिक्षा और सभ्य समाज में बदल दिया। इस्लाम के आने के बाद बर्बर अरब कबीलों में न सिर्फ ज्ञान का उदय किया बल्कि लोगों को भाई-चारा का विकास किया।

                    बारावफात कैसे मनाया जाता है---

     बारावफात शिया और सुन्नी समुदाय में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन लोग मक्का, मदीना या किस प्रसिद्ध इस्लामिक स्थल पर जाते है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन को बड़ी श्रद्धा से मनाता है तो वह और भी अल्लाह या ईश्वर के करीब हो जाता है।

     इस दिन, रात भर प्रार्थना की जाती है। सभाएं इकट्ठा की जाती है। तमाम प्रकार के जुलूस निकाले जाते थे। हजरत मुहम्मद साहब के जन्म दिन पर जो गीत गाया जाता है उस मौलूद कहते है।


                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-डेली हंट हिंदी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.